माँ, मेरी माँ,, छठवा दिन

गए थे मन्दिर हम माता हमारी

माँगी हमने भीख वहाँ

भीख में माँगी भक्ति हमने

सामने शक्ति थी खड़ी वहाँ।।

देख रही थी सामने हमको

हम उनको देखे वहाँ

नज़रो आंसू बह रहे थे हमारे,पर

नज़र,नज़रो से मिल रही थी वहाँ।।

उन्हें पता है सत भावना हमारी

पता निडरता का है यहाँ

साफ ह्रदय रखा मन पवित्र

कभी दोष ना लगने दिया यहाँ।।

जिस हाल में रखा उन्होंने

सहर्ष स्वीकारा हमने यहाँ

कुछ बिता कुछ बीत जाएगा जीवन

अब जैसा चाहे करे यहाँ।।

माना पतझड़ आ चुका जीवन मे

सारे पत्ते गिरे यहाँ

छाव के काबिल भी ना समझा हमे

ठूठ समान हैं खड़े यहां।।

कोई गम नही कोई गीला नही

कोई शिकायत ना किसी से यहाँ

कर्म पथ पर रहे अग्रसर

फल की चिंता ना करे यहाँ।।

harish harplani द्वारा प्रकाशित

हमारे विचार पसन्द आपको हम भाग्यशाली बने यहाँ✍️

One thought on “माँ, मेरी माँ,, छठवा दिन

  1. माँ
    जीवन दान
    देने
    के लिए
    धन्यवाद।।
    🙏

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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