पूर्व विधायकों को 40 हजार पेंशन भी लगी कम, विभागों से पेंशन खतम

पूर्व विधायकों को 40 हजार पेंशन भी लगी कम, विभागों से पेंशन खतम, समाचार के शीर्षक का केवल इतना सा अर्थ है कि विधायिका के जरिए केवल लूट-खसोट करने की बातें सामने आती हैं। क्योंकि विधायिका के लिए शिक्षा का कोई मानक तय करने की कोशिश तो छोड़ें शुरूआत भी नहीं की गयी है। पढ़ें राज शेखर भट्ट की रिपोर्ट-

देहरादून। पूर्व विधायकों का दावा है कि उनका संगठन राज्य हित से जुड़े मसलों को सरकार के समक्ष उठाने के लिए बनाया गया है। संगठन के अध्यक्ष लाखी राम जोशी कहते हैं, लोगों में यह गलत धारणा है कि पूर्व विधायक खाली पेंशन लेते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। हम इस धारणा को तोड़ना चाहते हैं और राज्य के लिए कुछ करने के लिए ही संगठन बनाया है। उधर, संगठन के औचित्य पर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं।

आशंका जताई जा रही है कि राज्य हित के बहाने पूर्व विधायकों का असल मकसद खुद के हित हैं, जिनके लिए उन्होंने संगठन की आड़ में एक प्रेशर ग्रुप बनाया है। उत्तराखंड के पूर्व विधायकों को मिल रही पेंशन कम पड़ रही है। अब वे चाहते हैं कि बढ़ती महंगाई के साथ कर्मचारियों की पेंशन बढ़ोतरी की तरह उन्हें भी लाभ मिले। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में पूर्व विधायक को 40 हजार रुपये पेंशन देने के प्रावधान है। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए उन्होंने एक संगठन भी बना लिया है।

समाचार के शीर्षक का केवल इतना सा अर्थ है कि विधायिका के जरिए केवल लूट-खसोट करने की बातें सामने आती हैं। क्योंकि विधायिका के लिए शिक्षा का कोई मानक तय करने की कोशिश तो छोड़ें शुरूआत भी नहीं की गयी है। विधायिका में आंकड़ों के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्री को पहाड़े नही आते हैं और केन्द्रीय मानवाधिकार 12वीं पास के हाथों में थमा लिया जाता है।

विधायिका को नयी-नयी गाड़ियां चाहिए और संसद के उच्च लजीज भोग यही कर सकते हैं। विधायिका के अपराधों का दौर भी ऐसा कि अपराध होता नहीं है और सुबूत समाप्त कर दिये जाते हैं। विधायिका शासन का भाग है तो प्रशासन भी उसके आगे नतमस्तक रहता है। विधायिका के घर में विधायक निधि आती है और जो उसे अपने विधायक क्षेत्र में खर्च करनी होती है।

आंकड़ों के अनुसार खर्च होती है और खर्च की भी जाती है, लेकिन कितना खर्च हुआ और कितना नहीं इसका हिसाब केवल कागज देते हैं। बचा-कुछा हिसाब पीडब्ल्यूडी, जल निगम, जल संस्थान, डीडीओ, वीडीओ, पटवारी या ठेकेदार को ही पता रहता है। विधायिका को लक्जरी कमरा भी चाहिए और लक्जरी खाना भी, लक्जरी गाड़ी भी चाहिए और पैट्रोल भी फ्री होना चाहिए अर्थात टीए, डीए और एचआरे इत्यादि सब इनको दे दो।

बहरहाल, जब इतना ले ही चुके हो तो अपनी कमाई की जमा पूंजी का उपयोग कर लो। अब पेंशन भी कम पड़ रही है, उसमें भी इतनी मांगें उठा रहे हो। अधिकारी कर्मचारियों की तो पेंशन कर दी बंद, धीरे-धीरे विभागों का होने जा रहा है निजीकरण, हमारी सुरक्षा करने वाली पुलिस की नौकरी अधर पर लटकी है, सरकारी नौकरियों में धांधली रही है और देश सेवा करने वाले फौजियों की सुध काई ले नहीं रहा है लेकिन इनको पेंशन में बढोत्तरी चाहिए।



पूर्व विधायकों की प्रमुख मांगें

  • पेंशन और पारिवारिक पेंशन में समय-समय पर बढ़ोतरी हो
  • पूर्व विधायकों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिले
  • उन्हें सरकारी अतिथि गृहों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिले
  • पेट्रोल और डीजल बिलों का भुगतान दोगुना हो
  • भवन व वाहन के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिए जाए
  • इस तरह तय होती है पूर्व विधायकों की पेंशन



पूर्व विधायक की मूल पेंशन 40 हजार रुपये है। आज के दौर में ये बहुत ज्यादा नहीं है। आज हर नागरिक के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा है। लेकिन पूर्व विधायकों के चिकित्सा बिल दो-दो साल तक लंबित रहते हैं। विधायक भी कुछ करके दिखाना चाहते हैं, इसलिए संगठन बनाया गया। इसे स्वहित कहना ठीक नहीं।
– लाखीराम जोशी, अध्यक्ष, उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन 



बिलकुल सत्य है कि आज के दौर में 40 हजार रूपये में कुछ भी नहीं हो सकता है। लेकिन कितने नेताओं ने बेरोजगारी हटाई, जो उत्तराखण्ड बनने के 22 साल होने के बाद भी युवा और युवतियां 4 हजार, 5 हजार रूपये की तनख्वाह में अपने परिवार को पाल रहे हैं। दूसरी बात विधायक भी कुछ करके दिखाना चाहते हैं तो जब विधायक थे, तब क्यों नहीं दिखाया और जो अब भी विधायक है, वो क्या करके दिखा रहे हैं। अनेक लोग जो शासन से भी हैं और प्रशासन से भी, नेताओं में भी, विधायकों में भी और मंत्रियों में भी, जिनमें से कोई दरोगा भर्ती घोटाले में, कोई यूकेएसएसएससी मामले में, कोई जमीन घोटाले में, कोई कहीं तो कोई कहीं।

बेटे ने अपनी मां के मुंह पर बरसाईं लातें, सड़क पर घसीटा


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

पूर्व विधायकों को 40 हजार पेंशन भी लगी कम, विभागों से पेंशन खतम, समाचार के शीर्षक का केवल इतना सा अर्थ है कि विधायिका के जरिए केवल लूट-खसोट करने की बातें सामने आती हैं। क्योंकि विधायिका के लिए शिक्षा का कोई मानक तय करने की कोशिश तो छोड़ें शुरूआत भी नहीं की गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights