नियम हो तो ऐसे हो वरना न हो। कोरोना से बचने के लिए सख्ती जरूरत है और वो दिखाई भी गई है। दरअसल, चेन्नई सुपर के खिलाड़ी केएम आसिफ पहले बायो बबल तोड़ने वाले खिलाड़ी के रूप में सामने आए हैं। हालांकि ये उनकी पहली गलती है और अनजाने में हुई है इसलिए उनकी सज़ा उतनी नहीं है जितनी तै की गई है। फिर भी सज़ा तो उन्हें मिक ही गई है। दरअसल, बॉयो बबल का जंजाल ही कुछ ऐसा है। किसिंने तोडा तो उस टीम के 1 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना भरने के अलावा तालिका में अंक भी काटे जा सकते हैं।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने भाग लेने वाली सभी 8 फ्रेंचाइजी टीमों को अधिसूचना दी कि ‘बायो-बबल’ से ‘अनाधिकृत रूप से बाहर’ जाने के लिए खिलाड़ी को 6 दिन के पृथकवास में जाना होगा। अगर ऐसा दूसरी बार होता है तो 1 मैच का निलंबन लगाया जाएगा और तीसरे उल्लघंन पर उसे टूर्नामेंट से बाहर कर दिया जाएगा और उसकी जगह टीम को कोई और खिलाड़ी भी नहीं मिलेगा। खिलाड़ियों को दैनिक स्वास्थ्य पासपोर्ट पूरा नहीं करने, जीपीएस ट्रैकर नहीं पहनने और निर्धारित कोविड-19 जांच समय पर नहीं करवाने के लिए 60,000 रुपए के करीब का जुर्माना देना पड़ सकता है। यही नियम परिवार के सदस्यों और टीम अधिकारियों के लिए भी हैं।संयुक्त अरब अमीरात में चल रहे टूर्नामेंट के हर पांचवें दिन सभी खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ की कोविड-19 जांच की जा रही है।
टीम अधिकारियों को भी यह सुनिश्चित करने में काफी सतर्क होने की जरूरत है कि सख्त ‘बायो-बबल’ का उल्लघंन नहीं हो। अगर कोई फ्रेंचाइजी ‘किसी व्यक्ति को बबल में खिलाड़ी/सहयोगी स्टाफ से बातचीत करने की अनुमति देती है’ तो उसे पहले उल्लंघन पर 1 करोड़ रूपए का जुर्माना भरना होगा, दूसरी बार ऐसा करने पर 1 अंक काट लिया जाएगा और तीसरे उल्लंघन के लिए 2 अंक (एक जीत के बराबर) काट लिए जाएंगे।