पंजाब के पटियाला में शुक्रवार हुई हिंसक झड़प के मामले में एक दिन बाद यानी शनिवार (30 अप्रैल, 2022) को बड़ा एक्शन हुआ। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार ने आईजी-एसएसपी समेत तीन पुलिस अफसरों का तबादला कर दिया।
सीएम के निर्देश पर पुलिस महानिरीक्षक (पटियाला रेंज), पटियाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक का ट्रांसफर हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि मुखविंदर सिंह चिन्ना को पटियाला रेंज का नया आईजी नियुक्त किया गया है, जबकि दीपक पारीक पटियाला के नए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक होंगे। वजीर सिंह को पटियाला का नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है।
वहीं, इलाके में आगे और तनाव न पनपे इसके लिए इंटरनेट सेवाओं पर भी फिलहाल रोक लगा दी गई है। सूबे के गृह विभाग के मुताबिक, पटियाला में शनिवार सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से निलंबित की गईं।
इस बीच, पटियाला में शुक्रवार को जो कुछ हुआ, उसके विरोध में शनिवार को हिंदू संगठनों ने बंद बुलाया। श्री काली देवी मंदिर के बाहर प्रदर्शन के दौरान हिंदूवादी संगठनों में से एक शिवसेना हिंदुस्तान के अध्यक्ष ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया- पंजाब के हिंदू विरोध के लिए तैयार हैं। यहां एकजुट लोगों की संख्या के आधार पर प्रशासन को हमें कम नहीं आंकना चाहिए।
उधर, शनिवार को एक हिंदी न्यूज चैनल को सीएम मान ने बताया, “हिंसा के लिए भाजपा वाले जिम्मेदार हैं। शिवसेना और अकाली कार्यकर्ता भी थे। हम किसी भी कसूरवार को नहीं छोड़ेंगे। ये इंटेलिजेंस की नाकामी नहीं है।”
पटियाला में एक मंदिर के बाहर दो समूहों के बीच शुक्रवार को हुई झड़प और पथराव में चार लोग घायल हो गए थे। इस दौरान स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं। वहां ‘‘खालिस्तान विरोधी एक मार्च’’ को लेकर दो समूहों में झड़प में चार व्यक्तियों के घायल होने के बाद स्थानीय प्राधिकारियों ने शुक्रवार शाम को कर्फ्यू लगाने की घोषणा की।
घटना के कुछ घंटे बाद पुलिस ने “शिवसेना (बाल ठाकरे)” नामक एक समूह के “कार्यकारी अध्यक्ष” हरीश सिंगला को बिना अनुमति के जुलूस निकालने और हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया। यह झड़प काली माता मंदिर के बाहर उस समय हुई जब सिंगला के समूह ने पास के आर्य समाज चौक से “खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च” शुरू किया था।
अफसरों के अनुसार, निहंगों सहित कुछ सिख कार्यकर्ता (जो शुरू में दुख निवारण साहिब गुरुद्वारे पर एकत्र हुए थे) मंदिर की ओर बढ़े और उनमें से कुछ ने तलवारें लहराईं। उन्होंने बताया कि उनके जुलूस को भी अधिकारियों से अनुमति नहीं मिली थी। मंदिर के पास दोनों गुट आमने-सामने आ गए और एक दूसरे पर पथराव किया। मंदिर के दरवाजे आनन-फानन बंद कर दिए गए और हिंसा को शहर में फैलने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए थे।