दाभोलकर हत्याकांड: चार्जशीट दाखिल न होने से तीनों आरोपियों को मिली जमानत

पुणेसंवाददाता: अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों को आखिर जमानत मिल ही गई। गिरफ्तारी के बाद 90 दिनों के भीतर सीबीआई आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल करने में नाकाम साबित हुई। नतीजन दाभोलकर हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए अमोल काले, राजेश बंगेरा और अमित दिगवेकर को पुणे की जिला सत्र अदालत ने जमानत मंजूर कर दी है।
इस हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई के अधिकारी दिल्ली के कामों में व्यस्त रहने के कारण चार्जशीट दाखिल करने के लिए 20 दिसंबर तक की मियाद बढ़ाने की मांग सीबीआई ने की थी। हालांकि जिला सत्र न्यायालय ने उनकी मांग खारिज कर दी तीनों को एक साथ जमानत मिलने से इस हत्याकांड की जांच पर विपरीत असर होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ज्ञात हो कि उक्त तीनों आरोपी वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में भी आरोपी हैं।
अमोल काले, राजेश बंगेरा और अमित दिगवेकर की गिरफ्तारी के 90 दिन बाद भी उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने में सीबीआई नाकाम साबित रही। यही धागा पकड़ते हुए आरोपियों के वकील धर्मराज चंदेल ने उनकी जमानत की मांग की। उन्होंने दलील दी कि गिरफ्तारी के बाद 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल होना अनिवार्य है। जब चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है तो उनके मुवक्किलों को जमानत मिलनी चाहिये। इसके बाद न्यायदंडाधिकारी एस. एम. ए. सय्यद ने उनके जमानत की अर्जी मंजूर कर दी।
जमानत के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने टिप्पणी की कि, आरोपियों को जमानत मिले, यह खुद सरकार की इच्छा है। अमोल काले, राजेश बंगेरा और अमित दिगवेकर इन तीनों को कर्नाटक एसआईटी की कोशिशों के चलते ही पकड़ा जा सका है, यह वास्तव है। इतने सालों से आरोपियों तक पहुंचने में नाकाम रही सीबीआई चार्जशीट दाखिल करने में तक नाकाम रही। सीबीआई के वकील दो दिन से अदालत में उपस्थित नहीं रहे। खुद सरकार चाहती है कि, यह मामला दबा रहे, यह आरोप भी उन्होंने लगाया।