1959 में चांद पर पहली बार पहुंची थी इंसान की बनाई कोई चीज, अमेरिका को लगा था बड़ा झटका

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चंद्रमा को लेकर मनुष्य का आकर्षण शायद पहले इंसान के जन्म के साथ ही शुरू हो गया होगा। बाहरी दुनिया में पृथ्वी का यह सबसे करीबी पड़ोसी हमेशा से कौतुहल का विषय रहा है। चांद को केंद्र में रखकर न जाने कितनी कविताएं, कहानियां और महाकाव्य रचे गए। न जाने कितनी पीढ़ियां चांद को छू लेने की तमन्ना दिल में लिए गुजर गईं, लेकिन 20 जुलाई 1969 को इंसान ने आखिरकार इतिहास रच ही दिया। यही वह तारीख थी जब पहली बार इंसान के कदम चांद पर पड़े। पर इससे करीब 10 साल पहले इंसान की बनाई चीज चांद पर पहले ही पहुंच चुकी थी। आप जानते हैं क्या थी वह चीज?

अमेरिका और सोवियत संघ में छिड़ी थी ‘स्पेस वॉर’

बीती सदी के मध्य में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) के बीच अंतरिक्ष पर प्रभुत्व को लेकर होड़ मची हुई थी। सोवियत संघ ने 4 अक्टूबर 1957 को अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह स्पुतनिक 1 स्थापित करके अमेरिका को पीछे छोड़ दिया था। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद सोवियत संघ की निगाहें चांद पर टिक गईं, और उसने ‘मून मिशन’ शुरू कर दिया। एक के बाद एक मून मिशन भेजे जाने लगे लेकिन सिर्फ नाकामी ही हाथ आई। लूना 1 नाम का एक यान 2 जनवरी 1959 को लॉन्च किया गया और यह चांद से 5,965 किलोमीटर की दूरी से होते हुए गुजर गया। यह सोवियत संघ के लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन जल्द ही उसे एक बड़ी खुशखबरी मिलने वाली थी।

13 सितंबर को चांद से टकराया था लूना 2

1959 में ही 12 सितंबर को सोवियत संघ ने एक और मून मिशन लॉन्च किया जिसका नाम रखा गया लूना 2। 12 सितंबर को Luna 8K72 s/n I1-7B रॉकेट से स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग हुई और यह सीधे चांद की तरफ उड़ चला। स्पेसक्राफ्ट अपने पीछे सोडियम गैस के बादल छोड़ता गया ताकि इसकी मूवमेंट दिखती रहे। 13 सितंबर 1959 को लूना 2 चांद की सतह से जाकर टकरा गया। हजारों-लाखों साल के मानव इतिहास में यह पहला मौका था जब इंसान की बनाई कोई चीज चांद पर पहुंची थी। इसके साथ ही सोवियत संघ ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और झंडा गाड़ दिया।

अमेरिका को लगा झटका, गदगद था रूस

सोवियत संघ ने कुछ ही महीनों बाद 12 अप्रैल 1961 को यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में भेज दिया और इस तरह वह मानव इतिहास के पहले अंतरिक्ष यात्री बने। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में सोवियत संघ के बढ़ते कदम ‘कोल्ड वॉर’ के दौर में अमेरिका के लिए बड़ा झटका थे, और उसने तेजी से खुद को साबित करने की कोशिश शुरू कर दी। शुरुआती नाकामियों के बाद आखिरकार 20 जुलाई 1969 का दिन अमेरिकियों के लिए खुशियां लेकर आया जब उन्होंने मानव को चांद पर भेजने में सफलता पाई। बाद में 2019 में भारत भी चांद की सतह पर विक्रम के रूप में अपना यान भेजने में कामयाब रहा, भले ही वह क्रैश लैंडिंग रही हो।

Shailesh Kumar

My name is Shailesh and I am a graduate working for VOB. I have been updating news on website from more than three years.

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