हिसार

साम्प्रदायिक एकता की मिसाल खारा बरवाला की पीर दरगाह

आदमपुर (अग्रवाल)
आदमपुर के गांव खारा बरवाला अपनी साम्प्रदायिक एकता के लिए आज प्रदेश ही नहीं अपित्तु देश व विदेश में भी विख्यात हैं। आज से करीब 250 वर्ष पहले गांव आबाद हुआ था। गांव के आबाद होने की पुख्ता जानकारी तो हालांकि लोगों के पास नहीं है परंतु ग्रामीणों के अनुसार पानी की किल्लत के चलते करीब 150 वर्ष पहले गांव में एक कुआं खोदा गया परंतु इसका पानी खारा निकला। इसके बाद 1-2 और कुएं खोदे गए लेकिन ग्रामीणों को मीठा पानी नसीब नहीं हुआ और लोगों की जुबान पर बरवाला की जगह खारा बरवाला का नाम चढ़ गया।

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
पीर फकीरों की मजारें देशभर में मुस्लिम ही नहीं हिंदू समुदाय के लिए भी समान रूप से आस्था व पूजा की स्थली रही हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल को गांव खारा बरवाला स्थित बाबा भागीपीर की दरगाह के रूप में देखा जा सकता है। इस दरगाह का इतिहास करीब 350 वर्ष पुराना हैं। गांव खारा बरवाला में हाजिर रहीम बख्स बाबा भागी नामक साधु आए। दंतकथा के अनुसार यहां उन्होंने केर के पेड़ के नीचे घोर तपस्या व साधना कर शक्तियां अर्जित की और उनका इस्तेमाल मानवता के कल्याण में किया। कालांतर में उन्हीं के नाम पर स्थापित हाजिर रहीम बख्स बाबा भागीपीर दरगाह को श्रद्धा, भक्तिभाव व साम्प्रदायिक सद्भावना स्थल के रूप में जाना जाता हैं। सैंकड़ों वर्ष पूर्व से ही मुस्लिम बहुल इस गांव में हिंदू, मुसलमान व सिख समान रूप से इस दरगाह के प्रति अगाध आस्था रखते हैं। सैंकड़ों साल पहले जिस वृक्ष के नीचे तपस्या की थी वह केर का वृक्ष आज भी मजार के पास मौजूद है हालांकि यह वृक्ष हरा तो नही, लेकिन समय के हिसाब से सुखा भी नही हैं।

24 साल से सेवा कर रहे हिंदू सेवक
दरगाह में पिछले 24 वर्षों से सेवा में जुटे हिंदू सेवक कृष्णलाल धमीजा के मुताबिक उनके पास हर धर्म व समुदाय के लोग आते हैं। पीर बाबा की कृपा से हर शख्स यहां से खुशियां लेकर ही लौटता है। हालांकि गांव में आजादी के वक्त काफी मारकाट मची थी। परंतु अब दोनों समुदायों में भाई से भी बढक़र प्यार-प्रेम है। दूर-दराज के इलाकों से श्रद्धालु दरगाह में दर्शनार्थ आते है व गुरुवार को श्रद्धालु प्रसाद व चद्दर चढ़ा मन्नतें मांगते हैं। सेवक कृष्णलाल ने बताया कि यहां सभी धर्मों के लोगों के लिए दरवाजा खुला हैं।

ग्राम पंचायत कर रही है संचालन
दरगाह के निर्माण के लिए समाजसेवियों व ग्राम पंचायत का भरपूर सहयोग रहा है करीब 4 एकड़ भूमि में स्थित बाबा भागीपीर की दरगाह प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं। दरगाह में आकर्षक त्रिवेणी द्वार व नमाज अता करने के लिए मस्जिद का निर्माण भी किया गया हैं। इसके अलावा दरगाह में जन्नति दरवाजा बनाया गया हैं जो उर्स के मेले व ईद के दिन ही खुलता हैं। दरगाह की देखरेख के लिए एक कमेटी बनाई गई हैं जिसका संचालन ग्राम पंचायत खारा बरवाला करती है।

7 जून को लगेगा उर्स मेला
हर गुरुवार को श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। प्रत्येक वर्ष जून माह के प्रथम सप्ताह में आने वाले गुरुवार को उर्स मेला धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन बाहर से आए कव्वालों द्वारा रात्रि को कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं।

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